लाल किला क्या था.. क्या है ..
ये समझना बहुत ज़रूरी है ...
जिन इंसान से बीवी और परिवार नहीं संभला और नहीं लाल किला सँभाला गया वो इंसान मुल्क को कैसे सभाल पायेगा, भाई उसने तो पहले ही कहा था मेरा क्या मैं तो फ़कीर आदमी हु झोला उठा कर चला जाऊँगा ।
1857 की क्रांति लगभग विफल हो चुकी थी कि तब लाल किले को घेर कर बैठे गोरे ने बूढ़े बादशाह को पैगाम भिजवाया
.
"दमदमा में दम नहीं अब खैर माँगो जान की
ऐ ज़फ़र! ठण्डी हुई शमशीर हिन्दुस्तान की"
.
मुग़ल बादशाह जफ़र हार चुके थे लेकिन झुकना मंज़ूर न था,,,
उल्टा जवाब भिजवाया ..
.
"गाज़ियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की_
_तख़्त-ए-लन्दन तक चलेगी जंग हिन्दुस्तान की"
बाद की बातें इतिहास में दर्ज़ हैं... आज एक मूर्ख ने एक व्यापारी के पास देश की आन बान और शान गिरवी रख दी है... करोड़ों हिन्दुस्तानियों के खून से लाल हुई दीवारें बेच दी हैं वो लाल किला जो हिंदू और मुस्लिम की और से आज़ादी के लिए लड़ी हुई लड़ाई और उनकी कुर्बानियो की गवाई आज भी दे रहा है और के रहा की मादरे वतन के लिये मुझे खून से रंगा गया है
इस तरह का हुकूमत का फैसला हिंदुस्तान की अमन परस्त अवाम के लिये बहुत शर्मनाक है क्या इस पार्टी को अच्छे दिनों के लिये अवाम ने चुना था या लाल किला और रेलवे स्टेशन वगरा को बचने के लिए चुना था ।
एक तरफ तो ये संगी कुत्ते कहते है कि मुसलमानों ने हिंद को दिया ही क्या है भक्तो जरा जा के अपने बाप से पूछो को हिंदुस्तान को मुगलो और मुस्लिम हुक्मरानों ने क्या क्या दिया है लाल किला, कुतूबमिनार, ताजमहल, आगरा का लाल किला, आलीशान मस्जिदे और कही आलिशान किले जिन की बदौलत आज भी हिन्दुतान को करोडो की इनकम हो रही है ।
✍ Mamun Husain
ये समझना बहुत ज़रूरी है ...
जिन इंसान से बीवी और परिवार नहीं संभला और नहीं लाल किला सँभाला गया वो इंसान मुल्क को कैसे सभाल पायेगा, भाई उसने तो पहले ही कहा था मेरा क्या मैं तो फ़कीर आदमी हु झोला उठा कर चला जाऊँगा ।
1857 की क्रांति लगभग विफल हो चुकी थी कि तब लाल किले को घेर कर बैठे गोरे ने बूढ़े बादशाह को पैगाम भिजवाया
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"दमदमा में दम नहीं अब खैर माँगो जान की
ऐ ज़फ़र! ठण्डी हुई शमशीर हिन्दुस्तान की"
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मुग़ल बादशाह जफ़र हार चुके थे लेकिन झुकना मंज़ूर न था,,,
उल्टा जवाब भिजवाया ..
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"गाज़ियों में बू रहेगी जब तलक ईमान की_
_तख़्त-ए-लन्दन तक चलेगी जंग हिन्दुस्तान की"
बाद की बातें इतिहास में दर्ज़ हैं... आज एक मूर्ख ने एक व्यापारी के पास देश की आन बान और शान गिरवी रख दी है... करोड़ों हिन्दुस्तानियों के खून से लाल हुई दीवारें बेच दी हैं वो लाल किला जो हिंदू और मुस्लिम की और से आज़ादी के लिए लड़ी हुई लड़ाई और उनकी कुर्बानियो की गवाई आज भी दे रहा है और के रहा की मादरे वतन के लिये मुझे खून से रंगा गया है
इस तरह का हुकूमत का फैसला हिंदुस्तान की अमन परस्त अवाम के लिये बहुत शर्मनाक है क्या इस पार्टी को अच्छे दिनों के लिये अवाम ने चुना था या लाल किला और रेलवे स्टेशन वगरा को बचने के लिए चुना था ।
एक तरफ तो ये संगी कुत्ते कहते है कि मुसलमानों ने हिंद को दिया ही क्या है भक्तो जरा जा के अपने बाप से पूछो को हिंदुस्तान को मुगलो और मुस्लिम हुक्मरानों ने क्या क्या दिया है लाल किला, कुतूबमिनार, ताजमहल, आगरा का लाल किला, आलीशान मस्जिदे और कही आलिशान किले जिन की बदौलत आज भी हिन्दुतान को करोडो की इनकम हो रही है ।
✍ Mamun Husain
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